Bhagwat Geeta 11 adhyay, or mahatmy
श्रीमद्भगवद्गीता 11 अध्याय व माहात्म्य ।। Bhagwat Geeta 11 adhyay पाठकों आप सब के लिए प्रस्तुत है। “Bhagwat Geeta 11 adhyay” श्रीमद्भगवद्गीता का 11 अध्याय व माहात्म्य हिन्दी व संस्कृत सहित। श्रीमद्भगवद्गीताके ग्यारहवें अध्यायका माहात्म्य श्रीमहादेवजी कहते हैं-प्रिये ! गीता के वर्णन से सम्बन्ध रखने वाली कथा एवं विश्वरूप अध्याय के पावन माहात्म्य को श्रवण करो। विशाल नेत्रों-वाली पार्वती ! इस अध्याय के माहात्म्य का पूरा-पूरा वर्णन नहीं किया जा सकता। इसके सम्बन्ध में सहस्रों कथाएँ हैं। उनमें से एक यहाँ कही जाती है। प्रणीता नदी के तटपर मेघङ्कर नामसे विख्यात एक बहुत बड़ा नगर है। उसके प्राकार (Bhagwat Geeta 11 adhyay, or चहारदिवारी) और गोपुर (द्वार) बहुत ऊँचे हैं। वहाँ बड़ी-बड़ी विश्रामशालाएँ हैं, जिनमें सोने के खंभे शोभा दे रहे हैं। उस नगर में श्रीमान्, सुखी, शान्त, सदाचारी तथा जितेन्द्रिय मनुष्यों का निवास है। वहाँ हाथमें शाङ्ग नामक धनुष धारण करने वाले जगदीश्वर भगवान् विष्णु विराजमान हैं। वे परब्रह्मके साकार स्वरूप हैं, संसार के नेत्रों को जीवन प्रदान करने वाले हैं। उनका गौरवपूर्ण श्रीविग