Posts

Showing posts from May, 2021

सिंदूर तिलक वशीकरण मंत्र साधना सम्पूर्ण विधि के साथ |

Image
सिंदूर वशीकरण मंत्र से सिंदूर वशीकरण सिर्फ एक सिंदूर के तिलक से करे अपनी मन चाही स्त्री का वशीकरण।। साधनों आज मैं आपको सिंदूर तिलक वशीकरण मंत्र साधना के बारे मैं बताने जा रहा हूँ। कि आप कैसे सिर्फ एक सिंदूर के तिलक से वशीकरण कर सकते है। बिना किसी के पता लगे, और बिना कुछ कुछ खिलाय पिलाये। मैं आप सब को संपूर्ण विधि के साथ बताने वाला‌ हूँ। सिंदूर का परिचय साधकों सिंदूर का हमारी संस्कृति मे बहुत महत्व है। सिंदूर हमारे सनातन धर्म की हर पूजा-पाठ मे इस्तमाल होता है। यह दिखने मे “लाल‌‌ रंग” का होता है। सिंदूर को हिन्दू धर्म की विवाहित स्त्रियाँ अपनी मांग मे धारण करती है। यह विवाहित स्त्री की पहचान है। सिंदूर तिलक वशीकरण मंत्र साधना मित्रो आप सिंदूर वशीकरण साधना ! होली, दीपावली, व ग्रहण मे कर सकते है। यह साधना आप दो विधि से कर सकते है। वह दोनो विधि मै आपको‌ आज बताने जा‌‌ रहा हूँ। कि कैसे आप यह साधना सिद्ध कर सकते है। सिंदूर तिलक वशीकरण साधना मंत्र ॐ नमो आदेश गुरु का। सिंदूर की माया। सिंदूर नाम तेरी पत्ती। कामाख्या सिर पर तेरी उत्पत्ति। सिंदूर पढ़ि मैं लगाऊँ बिन्दी। वश अमुख होके रहे निर्बुध्दी।

Bhagwat Geeta 18 adhyay, or mahatmy in hindi

Image
श्रीमद्भगवद्गीताके अठारहवें अध्यायका माहात्म्य || Bhagwat Geeta 18 adhyay साधकों आप के लिए प्रस्तुत “Bhagwat Geeta 18 adhyay” श्रीमद्भगवद्गीता अध्याय 18 व माहात्म्य हिन्दी व संस्कृत सहित श्रीपार्वतीजी ने कहा-भगवन् ! आपने सत्रहवें अध्याय का माहात्म्य बतलाया। अब अठारहवें अध्याय के माहात्म्य का वर्णन कीजिये। श्रीमहादेवजी ने कहा-गिरिनन्दिनि ! चिन्मय आनन्द की धारा बहाने वाले अठारहवें अध्याय के पावन माहात्म्य को जो वेद से भी उत्तम है, श्रवण करो। यह सम्पूर्ण शास्त्रों का सर्वस्व, कानों में पड़ा हुआ रसायन के समान तथा संसार के यातना-जाल को छिन्न-भिन्न करने वाला है। सिद्ध पुरुषों के लिये यह परम रहस्य की वस्तु है। इसमें अविद्या का नाश करने की पूर्ण क्षमता है। यह भगवान् विष्णु की चेतना तथा सर्वश्रेष्ठ परम पद है। इतना ही नहीं, यह विवेकमयी लताका मूल, काम-क्रोध और मदको नष्ट करने वाला, इन्द्र आदि देवताओं के चित्त का विश्राम-मन्दिर तथा सनक- सनन्दन आदि महायोगियों का मनोरञ्जन करने वाला है। इसके पाठ मात्र से यमदूतों की गर्जना बंद हो जाती है। पार्वती ! इससे बढ़कर कोई ऐसा रहस्यमय उपदेश नहीं

Bhagwat Geeta 17 adhyay, and mahatmy

Image
श्रीमद्भगवद्गीता के सत्रहवें अध्याय का माहात्म्य || Bhagwat Geeta 17 adhyay साधकों आप सब के लिए प्रस्तुत है। “Bhagwat Geeta 17 adhyay”  श्रीमद्भगवद्गीता का 17 अध्याय व माहात्म्य हिन्दी व संस्कृत मे। श्रीमहादेव जी कहते हैं-पार्वती! सोलहवें अध्याय का माहात्म्य बतलाया गया। अब सत्रहवें अध्याय की अनन्त महिमा श्रवण करो। राजा खड्ग बाहु के पुत्र का दुःशासन नामक एक नौकर था। वह बड़ी खोटी बुद्धि का मनुष्य था। एक बार वह माण्डलीक राजकुमारों के साथ बहुत धन की बाजी लगा कर हाथी पर चढ़ा और कुछ ही कदम आगे जाने पर लोगों के मना करने पर भी वह मूढ़ हाथी के प्रति जोर-जोर से कठोर शब्द करने लगा। उसकी आवाज सुनकर हाथी क्रोध से अंधा हो गया और दुःशासन पैर फिसल जाने के कारण पृथ्वी पर गिर पड़ा। दुःशासन को गिरकर कुछ-कुछ उच्छ्वास लेते देख काल के समान निरंकुश हाथी ने क्रोध में भरकर उसे ऊपर फेंक दिया। ॐ श्रीपरमात्मने नमः ऊपर से गिरते ही उसके प्राण निकल गये। इस प्रकार काल वश मृत्यु को प्राप्त होने के बाद उसे हाथी की योनि मिली और सिंहल द्वीप के महाराज के यहाँ उसने अपना बहुत समय व्यतीत किया। सिंहल द्वीप के राजा की महाराज ख