Bhoot pret pidit vyakti, ki pahchan kaise karen

भूत प्रेत मुक्ति के उपाय।। Bhoot pret pidit vyakti ki pahchan kaise Karen

Bhoot pret pidit vyakti, ki pahchan kaise karen

आज हम आपको ” Bhoot pret pidit vyakti “, की पहचान कैसे करें व मुक्ति के कुछ उपय बताने जा रहे है ! और भूत प्रेत क्या होते है ? भूत प्रेत से ग्रसित होने के क्या कारण होते है ? भूत प्रेत बाधा से कौन जल्दी पीड़ित होता है ? यह किन्ह व्यक्तियों पर जल्दी प्रभाव डालते है ? भूत-प्रेत कितने प्रकार के होते है ? आप इनसे कैसे छुटकारा पा सकते है ? पाठकों मैं आपको कुछ मंत्र व चमत्कारी टोटके भी बताने वाला हूँ ! ताबीज व धागा बनाने का मंत्र भी बताने वाला हूँ।

भूत-प्रेत क्या होते हैं।

पाठकों भूत-प्रेत काफी प्रकार के होते है ! इनका कोई रंग रूप नही होता ! न ही भूत-प्रेतों का कोई अस्तित्व होता है ! यह एक प्रकार की हवा होती है, कहा जाता है ! कि पहले के युगो ( सत्य यग, त्रेता युग, द्वापर युग ) मे भूत-प्रेत शरीरों के साथ होते थे ! किंतु अब कलयुग मे !इनका कोई शरीर नही होता। यह केवल एक हवा है ! भूत-प्रेत मनुष्यों के मन और शरीर पर नियंत्रण करते है ! और उन्हें अपने हिसाब से चलाते है। मनुष्यों का इस्तमाल करते है।

भूत-प्रेत कितने प्रकार के होते है।

यह कहना बहुत मुश्किल है ! कि भूत-प्रेत कितने प्रकार के होते है ! किंतु एक बात तो साफ है ! कि भूत-प्रेत होते है ! और काफी प्रकार के होते है ! कहा जाता है ! कि जब कोई मनुष्यों समय से पहले मृत्यु को प्राप्त कर लेता है ! तो वह प्रेत की यौनी मे चला जाता है ! प्रेतो का शरीर नही होता। किंतु भूतो का शरीर होता है। यदि शरीर न भी हो तो वह मनुष्य व वस्तुओं को छूने की शक्ति रखते है। इसके अतिरिक्त जिन्न-चुडैल, डाकनी-शाखनी, व डायनो को भी शरीर होता है। किंतु यह बहुत कम होते है। यह जंगल के इलाकों मे पाये जाते है।

भूत-प्रेत बाधा होने के कारण

1. पाठकों यदि आपके ऊपर शनि, राहू व केतु की बुरी दशा चल रही हो, तो भूत-प्रेतो को शरीर पर नियंत्रण शीध्र प्राप्त हो जाता है।

2. श्मशान घाट, कब्रिस्तान, या भूत-प्रेत पीड़ित स्थल पर रात के समय खुशबू दार चीजें लगाकर न जाए। इसके अतिरिक्त मिठाई आदि लेकर भी न जाए।

3. पाठकों आप भूत-प्रेतो को बुलाने या उनके साथ किसी भी प्रकार की छेड़ छाड़ न करें। नही तो आपको भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है।

4. यदि आपका कोई भी अपना सदस्य या सगा संबंधित समय से पहले मृत्यु को प्राप्त हो जाता है। तो‌ शीध्र ही उनकी शांति व गति करवाए।

5. आपके घर पर किसी के द्वारा कुछ कराया गया हो तो भी कुछ बुरी शक्तियां आपके घर मे प्रवेश कर जाती है।

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भूत-प्रेत बाधा से शीध्र प्रभावित

पाठकों भूत-प्रेत बाधा से शीध्र प्रभावित स्त्रियाँ होती है। इसके अतिरिक्त 15 साल‌ से छोटी उम्र के बच्चों पर भी शीध्र प्रभाव डालती है। जो भी पुरुष व सत्री कमज़र मन की होते है। उनके ऊपर भी शीध्र प्रभाव पड़ता है। पाठकों भूत-प्रेत उन्ह व्यक्तियों पर भी शीध्र प्रभाव डालते है। जो साफ सुथरे शरीर के होते है। पवित्र होते है।

भूत-प्रेत पीड़ित व्यक्ति की पहचान

1. उसके व्यवहार व वाणी में अपवित्रता आ जाती है।

2. उसकी आँखों के नीचे काली झुर्रियां बन जाती है और उनकी आखे डरावनी हो जाती है।

3. ऐसे व्यक्ति को नेत्र मिलाने को कहें तो नेत्र मिलाते ही वह पलकें झुका लेगा। या फिर पलकें नही झपकता।

4. यदि प्रेत पीड़ित व्यक्ति के शरीर में हिंसक व बहुत शक्तिशाली आत्मा हो, तो उसकी आँखों के डेलों मे आग दिखाई देती है। तथा साधारण व्यक्ति उससे नेत्र नहीं मिला सकता।

5. प्रेत बाधा, विशेषकर डाकिनी-शाकिंनी, भूतनी व पिशाचनी से ग्रसित स्त्री की आँखों में देखने वाले को अपने शरीर का प्रतिबिम्ब उल्टा दिखाई देता है।

6. भूत-प्रेता से ग्रसित व्यक्ति के नाखूनों का रंग बदल जाएगा ! वह व्यक्ति नाखून बढ़ाएगा तथा उसके नाखून हिंसक जानवर को तरह नुकीले होंगे

7. यदि प्रेत बाधा से कोई महिला पीड़ित है ! तो उसकी पीरियड में काले रंग का रक्त आता है।

8. ऐसे व्यक्ति के गुप्तांगों में विकृति आनी शुरु होगी ।

9. व्यक्ति को स्वप्नदोष होगा ! स्वप्न में किसी से संभोग करेगा । उसका वीर्य स्खलित हो तो कपड़ों में दाग नहीं पड़ेगा।

10. जातक का आत्म-विश्वास टूटेगा एवं मानसिक रूप से चिड़चिड़ा हो जाएगा। बात-बात पर खाने को दौड़ेगा। लड़ाई-मारपीट की भाषा ज्यादा बोलेगा एवं ऐसा ही आचरण करेगा।

11. ऐसा व्यक्ति भोग-विलास के समय अपने जीवन साथी से घृणा करेगा। यदि स्त्री है तो अपने पति से झगड़ा करेगी । पति के प्रत्येक कार्य में असहयोग करेगी । पति को काटने-मारने दौड़ेगी । उसको विचित्र दृष्टि से
देखेगी।

Bhoot pret pidit vyakti ki pahchan

12. भूत-प्रेत आदि से ग्रसित व्यक्ति को पवित्रता से घृणा होती है । वह पवित्र वातावरण में रहने से घबराहट होती है । स्नान करने से डरता है, धूप में, प्रकाश में बैठने से घबराता है।

13. धुले हुए वस्त्र नहीं पहनता। मंदिर में नहीं जाता। धूप-दीप नहीं जलाता और भगवान के दर्शन नहीं करता है।

14. पाठकों ! आमतौर पर जिन पुरुषों पर भूत-प्रेतादि या आत्मा अपना अधिकार जमा ले ! तो उनके लक्षणों के बारे में बतलाया गया है ! कि प्रेत ग्रस्त व्यक्ति ! अपने शरीर को ही नोचना और काटना शुरु कर देता है। खूब चिल्‍लाता है ! या एकदम चुप्पी साध लेता है ! बड़बड़ाता है। और आकाश की ओर या अकारण ही किसी ओर देखकर बातें करने लगता है। उछलना, कूदना, दौड़ना-गिरना साधारण बात हो जाती है। शरीर का रंग पीला पड़ जाता है और दिन प्रतिदिन वह दुर्बल होता जाता है। ऐसा लगता है मानो कोई उसका खून चूसे जा रहा है। आँखें हमेशा लाल रहती है, उनमें कुछ टेढ़ापन आ जाता है ! और हर समय पलकें चढ़ी रहती हैं ।

15. शरीर तपने लगता है। ठीक से सोता नहीं है। कहीं भी उल्टी-दस्त कर देता है। मुँह से झाग फेंकता है, पैर पटकता है और शररीर से कुछ दुर्गनध भी आने लगती है।

16. स्त्रियों पर भी प्रेत प्रभाव के लक्षण इसी प्रकार क्रे बतलाए गये हैं। अंतर केवल इतना बतलाया गया है, कि वह कपड़े भी फाड़ कर फेंक सकती हैं । शरीर पर कपड़ा रखना उनको पसंद नहीं रहता है। उनका शरीर व मन हर समय गर्म रहता है।

17. बालकों ” पर इनका प्रभाव पड़ने के कारण उनका लगातार रोना, बहुत कोशिशें करने के बावजूद भी चुप न होना, हाथ-पैर पटकना, बेहद मचलना, नॉंचना, होंठ चबाना और दांत किट किटाना बताया जाता है।

भूत-प्रेत बाधा से छुटकारा पाने के टोटके

1. हनुमान चालीस का पाठ भूत-प्रेत पीड़ित व्यक्ति के पास रोजाना करें।

2. सिद्ध महाकाली यंत्र गले मे धारण करवाए।

3. 16 सोमवार के व्रत रखे। और शिवलिंग पर जल चढावे।

4. भूत-प्रेत से पीड़ित व्यक्ति को काली, शिव, भैरों, हनुमान, बालक नाथ व गुरु गोरखनाथ के धूने पर लेकर जाय। और भभुती माथे पर लगाए।

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5. सिद्ध हनुमान यंत्र गले मे धारण करवाए।

6. जिस समय सूर्य पुष्य नक्षत्र मे हो, सफेद घंघुची की जड़ को लाकर, काले डोरे के साथ बांधकर भूत-प्रेत बाधा पीड़ित व्यक्ति के गले मे डाल दे, तो भूत-प्रेत आत्माएँ शरीर छोड़ देती है।

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7. जावित्री और सफेद अपराजिता के पत्ते के रस का नस्य लेने से भूत-प्रेत सदा के लिए। उस व्यक्ति को छोड़कर चले जाते है। यह उपाय मगल व शनिवार को ही करे।

भूत-प्रेत बाधा से मुक्ति पाने के मंत्र

1. ॐ नमो आदेश गुरु का | अपर कोष | बिगड़ कोष | प्रहलाद राख | पाताल राख | पांव दे बीज | जंघा देवे कालिका | मस्तक राखे महादेव | जो कोई इस पिंड -प्राण को छेदे छेदे | देव, देवता, भूत, प्रेत, डाकिनी, शाकिनी | कंठमाला , तिजारी | एक पहर | दोपहर | साँझ सवेरे को | किये – कराये को स्वाहा पड़े | इसकी रक्षा नरसिंह जी करें |

2. ॐ काली, काली महाकाली ! ब्रह्म की बेटी इन्द्र की साली ! पीती भर भर रक्त की प्याली ! उड़ बैठी पीपल की डाली ! दोनो हाथ बजाए ताली ! जहाँ जाय यह वज्र की ताली ! वहाँ न आये दुश्मन हाली ! दुहाई कामरो कामाख्या ! नैना योगिन की ! इश्वर महादेव, गोरा पार्वती की ! दुहाई वीर मसान की।

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मंत्र सिद्ध करने की विधि

पाठकों यह दोनो मत्र आप ग्रहण मे सिद्ध कर सकते है। नदी के बीच नाभी तक खड़ हो जाए। और ऊपर दिये गये मंत्रो का एक माला‌ जाप करें। इस तरह यह मंत्र सिद्ध हो जाएंग। उसके पश्चात जो भी व्यक्ति भूत-प्रेत बाधा से पीड़ित हो उसे मोर के पंख से मंत्र को 7 बार बोलकर झाड़ा दे। इसके अतिरिक्त पानी मे पढ़कर रोगी को पिलाये। इन्ह मंत्रो को‌ पढ़कर काले रंग के धागे पर फूंक मारते हुए गाँठ लगाए। 21 बार मंत्र पढ़ और 21 गाठे लगाए। और रोगी के गले मे डाल दे। भूत-प्रेत जल्द ही शरीर को छोड़ देंगे।

 

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