Ratno ki pehchan kaise kre, 100% working
रत्नों (Stone) की असली-नकली की पहचान कैसे करे ।। Ratno ki pehchan kaise kre
पाठकों आज मैं आपको ” Ratno ki pehchan kaise kre ” यह बताने वाला हूँ ! और रत्नों के कुछ उपाये बता रहा हूँ ! ताकि जब भी आप रत्न खरीदने जाए तो कोई प्रॉबलम न हो |
आज कल आप सब बहुत सारी परेशानियों से गुजर रहे है ! जैसे व्यापक ठप्प पड़ जाना ! घर मे क्लेश रहना ! आपका कोई भी कार्य नही बनता हो ! आप या आपके परिवार के सदस्यों का हमेशा बिमार रहना ! आपके अपने रिश्तेदार, वह मित्र को मुँह फेर लेना ! आपके साथ बार-बार दुर्घटना होना ! आप हमेशा क्रोध में रहते हैं ! इन सब बातो का कारण ग्रह दशा होती है ! रत्नों के धारण करने से ग्रह दशा शांत हो जाती हैं |
ग्रह दशा
पाठकों आप सब नही जानते होंगे ! जो भी यह समस्याएँ हमारे जीवन मे आती है ! उनका कारण ग्रह दशा भी होती है ! वैसे तो ग्रह शांति के बहुत सारे उपाय होते है ! किंतु समय न होने के कारण हम कर नही पाते।
रत्न (stone)
इसलिए हमे रत्न धारण करने पड़ते है ! रत्न धारण करने से हमे शीध्र लाभ प्राप्त होता है ! किंतु आप को रत्नो की असली नकली की पहचान नही होती ? क्योंकि शीध्र लाभ प्राप्त करने के लिए ! असली रत्न धारण करने की आवश्यकता होती है ! नकली रत्न धारण करने से कोई भी लाभ प्राप्त नही होता ! अपितु नुकसान होने का कारण बन सकता है।
रत्नों (stone) की पहचान
आज हम आपको कुछ उपाय बताने जा रहे है। जिसे आपको यह ज्ञात हो जाएगा। कि रत्न असली है। या नकली। मित्रों रत्न नवग्रह होने, के कारण 9 प्रकार के होते है। उनके नाम इस तरह है। माणिक, मौती, मूंगा, पन्ना, पुखराज, हीरा, नीलम, गोमेद, लहसुनिया। यह सब रत्न ग्रहो के हिसाब से होते है। जैसे सूर्य के लिये “माणिक” ! चंद्र के लिये “मोती” ! मंगल के लिये “मूंगा” ! बुध के लिये “पन्ना” ! वृहस्पति के लिये “पुखराज” ! शुक्र के लिये “हीरा” ! शनि के लिये “नीलम” ! राहू के लिये “गोमेद” ! केतु के लिये “लहसुनिया”।
रत्नों (Stone) की पहचान के उपाय
1. माणिक (Ruby)
अन्य नाम – रवि रत्न, सूर्य नग, माणिक्य, पदमराग, चुन्नी, Ruby इंगलिश मे बोलते है।
पहचान – वजनदार , रैशेदार, माणिक हाथ में लेने से
गर्म महसूस होवे। लाल, काला वर्ण, लाख के रंग का, पारदर्शी व अपार दर्शी दोनों तरह का होता है। चमकीली, कान्ति-युक्त स्निग्ध (चिकना) होता है। कमल के फूल की कली पर माणिक्य रखने से वह कली तुरंत खिल उठती है। इसके अलावा माणिक्य को किसी भी कांच के बर्तन में रखेंगे तो वह बर्तन आपको लाल दिखाई देगा।
माणिक धारण – सोने,चांदी या तांबे की अंगूठी मे बनवाकर, रविवार को धारण करे। गंगा जल, व लाल-चन्दन दोनों को मिलाकर, उसमे 20 मिनट तक माणिक को रखें। उसके पश्चात ॐ ह्रां ह्रीं ह्रों सः सूर्याय नमः मंत्र का
जाप कर धारण करे।
लाभ – सुख सम्पत्ति, धन प्राप्ति, मान सम्मान व यश मे वृद्धि । व्याधि रोगो मे फायदेमंद। राजनीति मे लाभ दे। शीध्र विवाह, शत्रु का नाश, उच्चरक्त चाप मे भी बहुत फायदेमंद होता है।
2. मोती (Pearl)
अन्य नाम – moon stone, चंद्र रत्न, Pearl, मुक्ता, दूधिया।
पहचान – चमकीला, टेढ़ा-मेढ़ा या गोल-मटोल भी होता है। इसकी कोई करटिंग नहीं की जाती । पीला गुलाबी कपड़े पर रगड़ने से चमक बढने लगती है। यह सफेद-चिकना नीला, पीला, काला कई रंगों का होता है
मोती धारण
मोती को सोने या चांदी की अँगूठी में, प्रात: काल सोमवार को, गंगा जल व कच्चे दूध से धोकर, ॐ श्रां श्रीं श्रीं सः चन्द्रमे नमः मन्त्र का जाप करके धारण करे। मोती कनिष्ठा अंगुली में धारण करे। वह स्पर्श होना चाहिये।
लाभ – क्रोध शांति के लिए। मानसिक तनाव को दूर करने के लिए। और भी बहुत से लाभ है।
3. मूंगा (Coral)
अन्य नाम – coral, लाल हकीक, मंगल रत्न व red stone.
पहचान – चिकना, रक्त में रखें तो मुँगे के चारों तरफ रक्त जमने लगे । पानी की बून्द गिराने से फैले नहीं।
मूंगा धारण – सोना, चांदी व तांबे की अंगूठी मे बनवा कर। मंगलवार को धारण करे। धारण करने से पहले गंगा-जल व कच्चे-दूध शहद में धोकर आधा घंटा सूर्यादय तक रखें। उसके पश्चात् अनामिका अँगुली में ॐ क्रां क्रीं क्रीं सः भौमाय” का 21 बार जाप करके धारण करें। स्त्रियां अँगूठी को बाँये हाथ की अनामिका उंगली में पहनें ।
लाभ – दुर्घटना, व्यापार, जमीन के मामले, रक्त दोष, उधर रोग, दिल के रोग, नज़र टोक, ओपरी बाधा, कैंसर, लगवा, निमोनिया टाइफाइड आदि मे लाभदायक होता है।
4. पन्ना (emerald)
अन्य नाम – बुध रत्न, emerald, हरा नग, हरा हकीक, हरित मणि व मरकत।
पहचान – हरी घास के रंग जैसा, मखमली व देखने में सुन्दर होता है। हरे व सफेद रंग से मिश्रित भी होता है। पार-दर्शी व अपार दर्शी दोनों रूप मे होता है। लकड़ी पर रगड़ें तो चमक और अधिक बढ़ने लगती है। पानी की बूंद को डाले तो टिकी रहे फैले या गिरे नही।
पन्ना धारण – सोना, चांदी की अंगूठी में, बुधवार के दिन दाँये हाथ की कनिष्ठा अंगुली में ऊँ: ब्रां ब्रीं ब्रीं स: बुधाय नम:, मन्त्र जाप करके धारण कर ले। धारण करने से पूर्व कच्चा दूध, गंगा जल व सफेद चन्दन में 20 मिनट तक डालकर रखे।
लाभ– सूजन, दमा, नेत्र रोग, ज्वर, वीर्य बर्धक, मानसिक रोग, काम व क्रोध, ब्लड प्रेशर, मृगी, पागल पन, चर्म रोग, प्रेम मे सफलता, शत्रु से बचाव, आदि मे फायदेमंद है। इसके अतिरिक्त विवाहित जीवन मे मिठास बना रखे।
5. पुखराज (Topaz)
अन्य नाम – गुरू रत्न, पीला रत्न, पुखराज, पुष्पराज ।
पहचान – चिकनां, पारदर्शी व वजनदार। असली पुखराज में रेशा अवश्य होता है। धूप में रखने से, किरणें फूटनें लगें । पुखराज को एक दिन दूध में रखने के बाद भी वह पीला ही रहेगा, उसका कलर जैसा था वैसा ही रहेगा। अगर आप सफेद किसी कपड़े में पुखराज रखते हैं तो उस कपड़े के ऊपर पीली छाया नजर आने लगेगी।
पुखराज धारण – सोने की या चांदी की अँगूठी में जड़वाकर “ॐ ग्रां ग्रीं ग्रौं सः गुरुवे नमः” मन्त्र का जाप करके धारण करे। धारण करने से पहले हल्दी, गंगा जल व दूध मे 20-25 मिनट तक डालकर रखे। उसके पश्चात वृहस्पति वार को दाँये हाथ की तर्जनी अंगुली में धारण करे।
लाभ – विवाह शीध्र करवाय, व्यापार व व्यवसाय मे वृद्धि, पढ़ाई लिखाई मे सहायक, सन्तान प्राप्ति, पत्ति की रक्षा, रक्त सोधक, आदि ने लाभदायक है।यदि किसी लड़की का विवाह न होता। हो तो पुखराज धारण करने से शीध्र होवें।
6. हीरा (Diamond)
पहचान – स्पर्श में ठंडा लगे ! चमकदार ! धूप में रखने पर इन्द्र धनुष के समान रंग-बिरंगी किरणें निकलती है ! हीरा कठोर होता है ! पर गिरने से टूट जाये ! गर्म दूध में डाल दे तो दूध को ठंडा करे दे ! विद्युत का कुचालक है ! यदि हीरे को गर्म करें तो रंग कुछ हल्का पड़ जाता है ! परन्तु ठंडा होने पर, पहले जैसे रंग का हो जाता है ! हीरे के ऊपर गर्मी नहीं चढ़ती ! उसे गर्म-गर्म दूध में डालने के बाद भी उसके ऊपर भांप नहीं जमेगी ! अगर आपके हाथ में जो हीरा है ! वह असली है ! तो उसपर मुंह से भांप छोड़ने के बाद भी उसपर ओस नहीं जमेगी।
हीरा धारण – सोने या चांदी की अंगूठी मे बनवाकर शुक्रवार को गंगा जल, कच्चे दूध व गुलाब जल में डालकर रखे। उसके पश्चात अनामिका या मध्यमा अंगुली मे धारण करे। धारण करने से पूर्व इस मंत्र का जाप करे। ॐ द्रां द्रा द्रौं शः शुक्राय नमः”।
लाभ – वीर्य बढाए, धातु मे वृद्धि, कैंसर, तलाक बचावे, व शुक्र की पीड़ा को हर ले।
सिर्फ एक चुटकी नमक से करे वशीकरण
7. नीलम ( Blue sapphire)
अन्य नाम – नील मणि, इन्द्रनील नील कंठ आदि ।
पहचान – धूप मे रखने से नीली किरणें निकले। यदि पानी के गिलास मे नीलम को डालकर रख दे। तो पानी नीला चमके। नीलम चमकदार व पारदर्शी होता है। असली नीलम मे थोड़ा सा रेसा तो होता ही है। नीलम को डालने से पहले। इसका उपरत्न धारण करें। इसे कपड़े मे बांधकर सिरहान रखे। यदि आपको बुरे स्वप्न न आये। वह लाभ होने लगे तो आप असली नीलम को धारण करसकते है।
नीलम धारण – सोने की अंगूठी मे जड़वाकर शनिवार वाले दिन कच्चे दूध, पंचामृत, या गंगा जल मे 20 मिनट डालकर रखे। उसके पश्चात दाय हाथ की अनामिका अंगुली मे धारण करे। धारण करने से पूर्व इस मंत्र का जाप करें। ॐ प्रां प्रीं प्रौं स: शनयै नम :
लाभ – नीलम जिनके लिए अनुकूल और शुभ होता है उन्हें धारण करते ही शुभ फल देने लगता है। सबसे पहले तो स्वास्थ्य संबंधी कोई परेशानी चल रही है तो उससे राहत मिलनी शुरू हो जाती है। नीलम शुभ होने पर धारण करने वाले व्यक्ति को आर्थिक लाभ मिलने के साथ नौकरी और व्यवसाय में उन्नति के संकेत भी शुरू हो जाते हैं।
8. गोमेद (Zericon)
अन्य नाम – राहू रत्न, तपोमणि, गोमेदक,
पहचान -गोमेद गोमूत्र के रंग का होता है। गोमूत्र में 24 घंटे रखे तो, मूत्र का रंग बदल जाएगा। गोमेद काली लालिमा वाला लाल, पारदर्शी एवं अपारदर्शी, व वज़नी होता है। लकड़ी के बुरादे में रगड़ने से इसकी चमके और पढ़ती है।
गोमेद धारण – सोने, चांदी व अष्ट धातु की अंगूठी मे जड़वा ले। फिर शनिवार वाले दिन सुबहा गंगा जल, मे रखे। कच्चे दूध से धोकर। इस मंत्र का जाप करते हुए। “ॐ भ्रां भ्रीं भ्रों स: राहवे नम:”, अनामिका अंगुली मे धारण कर ले।
लाभ – यह कफ, पिंत्त, क्षय तथा पाचन रोग का दूर
करता है। अपचन दूर करे, चमड़ी के रोग मस्तिष्क की दुर्बलता दूर करें । गोमेद के साथ, माणिक्य, मोती व मूंगा कभी भी धारण न करें। नाक की नकसीर, बुखार, पीलिया, गैस गोला व पेट रोगो को दूर करके लाभ पहुंचाये । कोर्ट–कचहरी के मामलों में विजय दिलाये।
9.लहसुनिया (cat’s eye)
अन्य नाम – केतु रत्न, वैदुर्य मणि, मेघांकुर, विदुर रत्न, सूक्र मणि।
पहचान – लहसुनिया को हाथ से घुमाकर देखने से सफेद, नीली व हरे रंग की चमक दिखती है। सूर्य के प्रकास मे देखने पर चांदी की तार जैसी लाइन सी दिखती है। कपड़े पर रगड़ने से चमक मे और वृद्धि होती है।
लहसुनिया धारण – आप जिस हाथ से कार्य करते हैं, उसी हाथ की रिंग फिंगर या फिर मध्यिका में इस रत्न को धारण करना चाहिए। लहसुनिया रत्न को धारण करने का मकसद यह है कि ये पहनने वाले की त्वचा से टच करें। यह ज़रूरी है कि लहसुनिया को धारण करने से पहले उसे गंगाजल या गाय के दूध में 10 मिनट के लिए डुबोएं। अंगूठी धारण करते वक्त ‘ॐ केतवे नमः’ मंत्र का उच्चारण करना चाहिए
Sadhana mein siddhi kyo nhi milti, kaise mile success।। साधना मे सफलता कैसे प्राप्त करें।
लाभ – लहसुनिया उन जातकों के लिए बेहद उत्तम होता है ! जो शेयर बाजार या जोखिम भरे निवेश कार्य करते हैं ! इस रत्न की कृपा से जोखिम भरे निवेशों का कार्य कर रहे व्यक्ति का भाग्य चमकता है।
व्यावसायिक क्षेत्र में यदि आपकी तरक्की लंबे समय से रुकी हुई है, तब भी यह रत्न काफी लाभकारी साबित होता है। इसके प्रभाव से आपको प्रोफेशनल लाइफ में सफलता प्राप्त होती है। फंसा हुआ पैसा व खोई हुई आर्थिक संपदा को भी वापस लाने में लहसुनिया लाभदायी होता है।
Madanan Mata Sadhana ।। मदानन माता साधना।
चेतावनी
मित्रों कोई भी रत्न धारण करने से पहले। किसी भी विशेषज्ञ ज्योतिष का परामर्श ले। अन्यथा फायदे की जगहा कोई नुकसान भी हो सकता है। आदेश
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